मेरी बहन तो चुदक्कड़ निकली - 2

 कहानी में मैं अपनी सेक्सी बहन की जवानी की ओर आकर्षित था. पर मुझे पता नहीं था कि वह मेरे से ज्यादा चुदाई का मजा लेना चाहती थी, बड़ी चुदक्कड़ थी.



दोस्तो, मैं शैलेश कोरा आपको अपनी सगी बहन की चुदाई की कहानी सुना रहा था. आज दीदी की चुदाई की बारी है. आप लोगों को आज दो जवान जिस्मों की गर्मी और तड़प के बारे में जानकारी प्राप्त हो जाएगी.


कहानी के पहले भाग मेरी बहन तो चुदक्कड़ निकली - 1

सगी बहन के बदन का मजा

में अब तक आपने पढ़ा था कि दीदी ने मेरे साथ चुदाई का जुगाड़ कैसे फिट किया.

दीदी ने हाथों में मेहंदी लगाई हुई थी.

उन्होंने मुझसे ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खुलवाया और पैंटी उतरवा कर नीचे से पूरी नंगी होकर मेरे सामने मूतने लगीं.

उनकी चूत से मूत की धार छर्र छर्र की आवाज के साथ मधुर संगीत के साथ बहने लगी.


अब आगे ब्रो फक सिस कहानी:


दीदी- क्या देख रहा है?

मैं- आपकी चूत.


दीदी- क्यों पहले कभी नहीं देखी क्या?

मैं- एक बार मां की देखी थी वह भी गलती से … पर ठीक से पहली बार है.


दीदी- मां को भी नहीं छोड़ा साले … कैसे देखी थी?

मैं- वो वो …


दीदी- ठीक से बोल न!

मैं- मम्मी बाथरूम में शॉवर ले रही थीं. मुझे लगा कि बाथरूम में कोई नहीं है. मैं घुसता चला गया. अन्दर देखा तो मेरी नजर सीधे उनकी काली चूत पर जा पड़ी, जिसमें वे नहाती हुई उंगली कर रही थीं.

दीदी हंसती हुई बोलीं- जल्दी ही मां भी तेरे बिस्तर पर होंगी, आईडिया मैं बता दूंगी. बुढ़िया को इतना चोदना कि वह तेरे लंड की गुलाम बन जाए.

मैं- हां, पर ऐसा क्यों?


दीदी- जब मम्मी तुझसे चुदने लगेंगी, तब इस बारे बताऊंगी.

मैं- ओके दीदी.


दीदी- बेटा, अगर मैं पहल ना करती, तो तू मुठ ही मारता रहता … और मैं बाहर मुँह मारती रहती.

मैं- हां ये तो है. पर आप बाहर किस से?


दीदी- एक है … सुरेश नाम का … साले का 5 इंच का साइज, पतला सा लंड है. बिल्कुल बेकार है … भोसड़ी वाला 2-3 मिनट में झड़ जाता है. बस जवानी की प्यास बुझती नहीं है, तो उससे करवाना पड़ता है. उधर मेरी जवानी देखते ही निकल जाता है सुरेश का, कुछ कर भी नहीं पाता.

मैं- दीदी आप इतनी तेज हो कि चुदवा भी लिया आपने?

दीदी- उसे चुदवाना नहीं कहते.


मैं- फिर चुदवाना किसे कहते हैं?

दीदी- अभी जब तेरा मोटा लंड मेरी चूत में जाएगा, तो पता चल जाएगा कि चुदवाना किसे कहते हैं.


मैं उनकी चूत देखने लगा जिसमें से मूत निकलना बंद हो गया था.


मैंने कहा- दीदी, आपकी चूत से धार निकलना बंद हो गई.

दीदी- चल, बकचोदी ही करेगा या कुछ अन्दर बाहर वाला काम भी करेगा!


मैं- दीदी वह आपकी मेहंदी?

दीदी- ये तुझे पटाने का तरीका था. इसका कोई काम नहीं है.

दीदी ने हाथ धो लिए और मेरे होंठों पर होंठ धर दिए.

मैंने उनकी कमर में हाथ डाल कर कसके अपनी पकड़ बनाई और होंठों को चूसने लगा.


दस मिनट तक होंठों की चुसाई होने के बाद मैं कुछ ज्यादा ही उत्तेजित हो गया था.


मैंने बाथरूम में ही दीदी का ब्लाउज उतार दिया और चूची को दबाने लगा.


दीदी- साले इधर ही सब कर लेगा क्या? मुझे अपनी गोद में उठा कर बेडरूम में ले चल और मेरी जवानी का मजा लूट कर मेरी तड़प मिटा दे.

मैं- दीदी आज आप रो दोगी … मैं आपको इतना चोदूंगा कि आपकी चूत की सारी गर्मी निकाल दूंगा.


दीदी- अच्छा बेटा, इतना कॉन्फिडेंस!

मैं- हां मेरी जान.

मैंने दीदी को बांहों में जकड़ कर उठा लिया और उनके गुलाबी होंठों को चूसने लगा.

दीदी के पैर हवा में थे और उनकी रस भरी चूचियां मेरे सीने से रगड़ रही थीं.


उसी अवस्था में दीदी को लटकाए हुए मैं उन्हें चूसते चूसते लाया और बेड पर पटक कर उनके ऊपर चढ़ गया.

मैंने दीदी के होंठों को चूस चूस कर लाल कर दिया था.


जब चुंबन टूटा, तो दीदी मुस्कुराती हुई बोलीं- वाकयी आज बहुत मजा आने वाला है.


दीदी के सफेद मम्मे बड़े बड़े और एकदम गोल किसी फिल्म एक्ट्रेस के जैसे चमक मार रहे थे.


मुझसे रहा नहीं गया और मैं उनके एक दूध को मुँह में भर कर चूसने लगा और दूसरे को हाथ से तेज तेज मसलने लगा.


दीदी के मुँह से निकलती ‘आई मम्मी … उई मम्मी आह ओह हां सीईईई.’ की आवाज मेरा जोश बढ़ाने लगी.

दस मिनट में दीदी के मम्मों को मसल कर मैंने उन्हें लाल टमाटर बना दिया था.

उनके दोनों मम्मों में दांत से काटने के निशान बन गए थे.


अब मैं दीदी के सामने से उनके बाजू में आ गया और एक हाथ से दीदी की चूत को सहलाने लगा.

मेरा दूसरा हाथ दीदी की मस्त गोल चूचियों को दबा रहा था.


होंठों की चुसाई चालू थी … होंठों में जंग सी हो रही थी.

उनकी जीभ मेरे मुँह में थी और मेरी जीभ उनकी जीभ को चूस कर उनके मुँह की लार को पिए जा रही थी.


उधर नीचे मैं दीदी की चूत में उंगली तेजी से अन्दर बाहर करने लगा था.


दीदी के मुँह से ‘आह सी ऊऊओ सी आह …’ की तेज आवाज निकल रही थी.

तभी दीदी एकदम से अकड़ने लगीं और उन्होंने ने मुझे जोर से पकड़ कर अपना सारा पानी गिरा दिया.

मेरी उंगलियों के जरिए उनकी चूत का पानी बाहर आने लगा.


कुछ पल तक चूत से माल झाड़ने के बाद दीदी निढाल स्वर में बोलीं- आह मजा आ गया साले … अब तक तू कहां था. तेरी दीदी किसी और से चुदवा कर कभी शांत नहीं हुई. तू अभी सिर्फ शुरू ही हुआ है और मैं एक बार में निकल भी गई. ला अब तेरा लंड चूस देती हूँ. अपना लंड मेरे मुँह में डाल दे.


दीदी ने मुझे नंगा किया और मेरा विशाल लंड देख कर उनकी आंखें चमक उठीं.

वे मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- मैं ऐसे ही लंड को ढूंढ रही थी. ऐसे लौड़े के चक्कर में मैं 3 लंड ले चुकी हूं और ये मेरे घर में ही मेरे पास था … और अब जाकर मिला है.


मैं- दीदी आप क्या बिल्कुल रंडी बन गई हो … आप अपनी चूत में अब तक 3 लंड ले चुकी हो?

दीदी- बहनचोद तुझे अभी पता चल जाएगा कि मैं रंडी हूं या नहीं.


यह कहती हुई दीदी अपने घुटनों के बल बैठ गईं और मेरे लबे मोटे लंड को पकड़ कर अपने मुँह में भर कर चूसने लगीं.

दीदी बिल्कुल सड़क छाप रंडियों की तरह मेरे लंड को चूस रही थीं.

उनकी कोशिश थी कि पूरा लंड मुँह में ले लें पर बड़ा होने के कारण पूरा लौड़ा उनके मुँह में नहीं जा रहा था.


लगभग आधा लौड़ा अभी भी बाहर ही था.

बाहर रह गए लौड़े को दीदी हाथ से मरोड़ती हुई सहला रही थीं.


मैंने भी अब दीदी के बाल पकड़ लिए और उनके मुँह में धक्के देने लगा.


उत्तेजना के चलते मुझसे एक धक्का तेज लग गया और लंड दीदी के गले तक पहुंच गया.

इससे दीदी की आंखें बाहर निकलने लगी थीं.


दीदी ने मेरी कमर पर चुटकी काटी और मुझे रोका.

मैं समझ गया कि लौड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया.

मुझे पहली बार कोई लड़की की चुदाई का मौका मिला था.

वह भी मेरी बहन ने मुझे चोदने का ऑफर दिया था.


मैंने दीदी से कहा- अब आप पेट के बल लेट कर लंड चूसो.


दीदी ने मुँह से लंड निकाला और बोलीं- साले, अब मुझे चोदना सिखाएगा … बता क्या करेगा भोसड़ी के?

मैंने कहा- लेट तो मेरी जान.


दीदी लेट गईं और लौड़ा चूसने लगीं.


मैंने झुकाव बनाते हुए दीदी के मुँह में लंड पेला और उनके चूतड़ों को पीटने लगा.

कभी मैं नीचे हाथ डाल कर बूब्स दबाने लगता, कभी कमर सहलाने लगता.

मैं अब चरम सीमा पर आ गया था.

दीदी मेरे दोनों आंडों को सहला रही थीं और लंड को चूस रही थीं.


इस वजह से लंड चुसवाने में मस्त मजा मिल रहा था.


मैंने झड़ना चालू कर दिया और सारा माल दीदी के मुँह में भर दिया.


दीदी पक्की रांड थीं.

उन्होंने लंड रस को खा लिया और चाट कर लंड साफ कर दिया.


फिर वे नशीली आंखों से लंड को चूमती हुई बोलीं- ऐसा लंड ब्लू फिल्म के अलावा कभी नहीं देखा.

मैं हांफता हुआ उन्हें मादक नजरों से देख रहा था.


दीदी- चल अब तू मेरी चूत चाट.

मैं- ओके दीदी.

दीदी- भोसड़ी के दीदी मत बोल साले, अब तेरी जीएफ हूं.

मैं- ओके जान.


मैं दीदी की चूत चाटने लगा.

चूत चाटते हुए दो उंगलियां भी दीदी की चूत में तेजी से अन्दर बाहर करने लगा.


उनकी सिसकारियों भरी आवाज तेज निकलने लगी- उह आह आह … ओह माई गॉड … आई मर गई.


कुछ मिनट के बाद लौड़े ने फिर से उफान मारना शुरू कर दिया.

दीदी का पानी भी निकल गया.

वे मेरा सर तेजी से अपनी चूत पर दबा कर बोलीं- मैं तेरी हूं मेरी जान. आह चूस ले कमीने … आह.


यह कहते हुए दीदी ने सारा पानी मेरे मुँह में निकाल दिया.

मैंने उनकी चूत से निकला सारा पानी चाट कर साफ़ कर दिया.


‘दीदी आज तो मैं जन्नत में हूं जैसे!’

‘अब मुझे भी ले चल जन्नत की सैर पर.’

‘चल मेरी जान, अब लंड तेरी चूत में जाने को तैयार है.’


अब बारी थी दीदी की चुदाई की.

दीदी- साले, कुत्ते की तरह चूत को चोद कर अपनी और मेरी जवानी की ज्वाला बुझा दे.


दीदी ने टांग उठा कर घुटने से मोड़ ली और मुझे अपनी ओर खींच कर बोलीं- पेल दे अपनी बहन को … चोद चोद कर चूत का भोसड़ा बना दे. अपना दस इंची लौड़ा पेल दे जल्दी से.

मैं उनकी चूत पर लंड रगड़ रहा था.


बहन तड़प रही थी और कहे जा रही थी कि जल्दी से पेल दे भाई … ओह अब नहीं रुका जाता.


उनके मुँह से ये शब्द सुनकर मजा ही आ गया.


मैं जानबूझ कर उन्हें और तड़पा रहा था.


दीदी ने लंड को पकड़ कर चूत पर सैट किया और नीचे से गांड उठाते हुए एक जोरदार झटका मार दिया.

मेरे लंड का टोपा उनकी चूत के अन्दर घुस गया.


तभी दूसरा झटका मैंने दे दिया जिससे आधा लंड चूत में घुसता चला गया.


ब्रो फक सिस … दीदी की एक जोरदार चीख से घर गूंज गया.

घर में किसी के ना होने से आवाज पर मैंने ध्यान नहीं दिया … और एक और झटका लगा दिया.

इस बार लंड ने चूत की मां चोद दी और दीदी की दर्द भरी चीख निकल पड़ी.


वे तड़पते हुए शब्दों से कहने लगीं- आह रुक जा थोड़ा … आह भाई सांस तो ले लेने दे जरा. मैं कोई रंडी नहीं हूं … तेरी सगी बहन हूं. लेकिन अब तेरी रंडी भी हूं में … पाँचों दिनों तक रात दिन चोद लेना मुझे … पर अभी जरा सा रुक जा.


मैं रुक गया और दीदी को किस करने लगा.

अपने एक हाथ से मैं उनकी चूची को पकड़ कर पीने लगा और जोर जोर से दबाने लगा, सहलाने लगा.


एक मिनट के बाद दीदी ने नीचे से गांड हिला कर इशारा किया.

मैंने धकापेल चुदाई शुरू कर दी.


नीचे स्पंज वाला गद्दा था और ऊपर से मेरे परमाणु बम के फटने वाले जैसे धक्के चालू थे.

दीदी सेक्सी आवाज के साथ तेज स्वर में चिल्ला रही थीं- आह आह मर गई … भाई चूत फट जाएगी मेरी … आह धीमे चोद … आह आह उई मम्मी आई मर गई!


पूरे कमरे में ब्रो फक सिस की आवाजें खचा खच खचा खच चल रही थीं.

दस मिनट के बाद मैंने चुदाई की पोजीशन बदली.


मैं नीचे हो गया और दीदी लंड पर बैठ गईं.

अब दीदी उछल उछल कर चुदवाने लगी थीं.

उनकी दोनों चूचियां भी हवा में गजब उछलने लगी थीं.


दोस्तो, अपनी सगी बहन की मदमस्त चुदाई की कहानी लिखते हुए ही मेरा लंड फूल गया है. मैं मुठ मार कर अभी वापस आटा हूँ तब तक आप मेरी इस ब्रो फक सिस कहानी के लिए अपने कमेंट्स लिखना न भूलें.


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ब्रो फक सिस कहानी का अगला भाग: मेरी बहन तो चुदक्कड़ निकली - 3

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